Shodashi Secrets

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Neighborhood feasts Participate in a substantial position in these functions, in which devotees appear together to share foods That always include things like common dishes. These types of foods rejoice both equally the spiritual and cultural components of the Pageant, improving communal harmony.

सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

For the people nearing the pinnacle of spiritual realization, the final stage is called a point out of entire unity with Shiva. Here, individual consciousness dissolves in to the universal, transcending all dualities and distinctions, marking the end result on the spiritual odyssey.

It truly is need that turns the wheel of karma,  and that retains us in duality.  It really is Shodashi who epitomizes the  burning and sublimation of such needs.  It really is she who will allow the Doing work from outdated  karmic patterns, leading to emancipation and soul independence.

She is depicted being a 16-yr-old Lady by using a dusky, crimson, or gold complexion and a third eye on her forehead. She is one of the 10 Mahavidyas which is revered for her splendor and electrical power.

चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

In the main temple of the Kamakhya complex resides Shodashi, or Surashi, the Devi of sixteen summers, so named read more mainly because she assumes the form of the youth of eternally 16. She is thought, also as Kamakshi Devi and there is no doubt that this is actually her epicenter of electric power during the terrestrial plane.

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